छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स-AJJAKS पंजीयन क्र.- 10/2001 संविधान 1. संस्था का नाम - छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ होगा. 2. प्रांतीय कार्यालय- गुरु घासीदास प्लाजा, जीई रोड, आमापारा , रायपुर छत्तीसगढ़ 492001 3. कार्यक्षेत्र - 4. संस्था के उद्देश्य - संस्था के निम्नलिखित उद्देश्य होगें, यथा i. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (जिन्हें इसके बाद आरक्षित वर्ग कहा गया है) के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सेवा संबंधी-मामलों (यथा भर्ती, शिक्षावृत्ति, छात्रवृत्ति, स्टेशनरी, पुस्तकालय, कम्प्यूटर, छात्रावास प्रवेश आर्थिक दावे इत्यादि के संबंध में राज्य) केन्द्र सरकार के संस्थानों पर सम्पर्क स्थापित कर समस्याओं के निदान हेतु आवश्यक कार्यवाहियां करना. ii. राज्य शासन, शासन के सार्वजनिक उपक्रमों, अर्द्ध शासकीय संस्थाओं तथा स्थानीय निकायों की सेवाओं में आरक्षण के निर्धारित प्रतिशत की पूर्ति की स्थिति पर निगरानी रखते हुए निर्धारित प्रतिशत हेतु संवैधानिक एवं अहिंसक कार्यवाही करना. iii. आरक्षित वर्गो के सेवारत व्यक्तियों के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उत्थान हेतु प्रयास करना. iv. आरक्षित वर्गो के सामान्य समुदाय के लोगों (नौकरी पेशा लोगों के अलावा) के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक उत्थान हेतु आवश्यक प्रयास करना तथा प्रयोजन हेतु सभा, जुलूस, सेमिनार, प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करना. v. आरक्षित वर्गो एवं उनके नौकरी पेशा सदस्यों को शिक्षित एवं जागृत करना. vii. आरक्षित वर्गो के बीच एकता, भाईचारा एवं परस्पर सहयोग की भावना पैदा करते हुए उसे सुदृढ़ करना। vii. आरक्षित वर्गो के कल्याण हेतु बनाए गए विभिन्न कानूनों का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना एवं ऐसे कानून बनाये जाने के लिए जनमत जागृत करना जो कि आरक्षित वर्गो के सर्वांगीण विकास, कल्याण हेतु आवश्यक प्रतीत हों. viii. भारतीय संविधान में आरक्षित वर्गो के लिए प्रावधानित आरक्षण की सुविधा सम्बंधी प्रावधान को स्थाई प्रावधान बनाने के लिए प्रजातांत्रिक एवं विधि सम्मत तरीकों से प्रयत्न करना. ix. संस्था की सम्भाग, जिला तहसील विकास खण्ड, पंचायत एवं ग्राम स्तर पर शाखायें गठित करना. x. उपरोक्त समस्त उद्देश्यों को प्राप्ति हेतु चन्दा एकत्रित करना, शासन से अनुदान, ऋण, सहायता प्राप्त करना एवं अन्य आवश्यक अनुषांगिक कार्यवाहियां करना। 5. संस्था का संगठनात्मक ढांचा-संस्था की निम्नानुसार शाखाएं स्थापित की जायेंगी:- i. प्रदेश स्तर पर ii. संभाग स्तर पर iii. जिला स्तर पर iv. तहसील स्तर पर v. विकास खण्ड स्तर पर vi. पंचायत स्तर पर vii. ग्राम स्तर पर प्रत्येक स्तर पर राज्य प्रबंधकारिणी समिति के समान एक प्रबंधकारिणी समिति का गठन किया जावेगा। संस्था की संभाग, जिला तहसील विकास खण्ड पंचायत एवं ग्राम स्तर की शाखाओं पर राज्य स्तरीय प्रबन्धकारिणी का सम्पूर्ण नियंत्रण होगा। जिला स्तर की शाखायें संभाग के तथा तहसील पंचायत ग्राम विकास खण्ड पंचायत एवं ग्राम स्तर की शाखायें जिला शाखा के एवं ग्राम स्तर की शाखायें विकासखंड के नियंत्रण एवं मार्गदर्शन में कार्य करेंगी। संस्था की प्रबंधकारिणी समिति अपनी बैठक में बहुमत से प्रस्ताव पारित करके जिला शाखाओं के स्वरूप के संबंध में आवश्यक परिर्वतन कर सकेंगी. 6. सदस्यताः संस्था के निम्नलिखित श्रेणी के सदस्य होंगे :- (अ) संरक्षक सदस्यः- संस्था को जो व्यक्ति दान के रूप में रू.10000/- दस हजार या अधिक एकमुश्त या एक साल में बारह किश्तों में देगा वह संस्था का संरक्षक सदस्य होगा. (ब) आजीवन सदस्यः- जो व्यक्ति संस्था को दान के रूप में रू.5000/- पांच हजार या अधिक एकमुश्त देगा वह संस्था का आजीवन सदस्य होगा. (स) साधारण सदस्यः- जो व्यक्ति संस्था को प्रतिवर्ष सदस्यता शुल्क के रूप में निम्नानुसार राशि देगा वह संस्था का साधारण सदस्य होगा. (क) राजपत्रित अधिकारी प्रथम श्रेणी अधिकारी - रू.1000 प्रतिवर्ष (ख) राजपत्रित अधिकारी द्वितीय श्रेणी अधिकारी - रू.500 प्रतिवर्ष (ग) तृतीय श्रेणी अधिकारी/कर्मचारी - रू.200 प्रतिवर्ष (घ) चतुर्थ श्रेणी - रू.100 प्रतिवर्ष (ड) आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता कर्मचारी एवं कोटवार – 50 प्रतिवर्ष उपरोक्त सदस्यता शुल्क प्रतिवर्ष 1 जनवरी को देय होगा। जो साधारण सदस्य बिना संतोषजनक कारणों के 6 माह तक देय सदस्यता शुल्क नहीं देगा, उसकी सदस्यता समाप्त हो जायेगी। ऐसे सदस्य द्वारा संस्था के लिये नया आवेदन पत्र देने तथा बकाया सदस्यता शुल्क की राशि देने पर उसे पुनः सदस्य बनाया जा सकेगा। (द) सम्मानीय सदस्यः संस्था की प्रबंधकारिणी किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को उस समय के लिए जो भी वह उचित समझे सम्मानीय सदस्य बना सकती है। ऐसे सदस्य संस्था की साधारण सभा की बैठक में भाग ले सकते है, परंतु उन्हें मत देने का अधिकार नहीं होगा. 7. सदस्यता की प्राप्तिः- प्रत्येक व्यक्ति को, जो कि संस्था सदस्य बनने का इच्छुक हो, लिखित रूप में आवेदन करना होगा। ऐसा आवेदन पत्र प्रबंधकारिणी समिति को प्रस्तुत होगा जिसे आवेदन पत्र को स्वीकार या अस्वीकार करने का पूर्ण अधिकार होगा. 8. सदस्यों की योग्यताः संस्था का सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होना आवश्यक है:- (क) उसकी आयु 18 वर्ष से कम न हो (ख) वह भारतीय नागारिक हो (ग) उसने समिति के नियमों के पालन की प्रतिज्ञा की हो। (घ) वह सद्चरित्र हो तथा मद्यपान न करता हो एवं वह राज्य शासन का अथवा किसी शासकीय नियंत्रणाधीन सार्वजानिक उपक्रम का अथवा अर्द्ध शासकीय संस्था का अथवा किसी स्थानीय निकाय का अथवा किसी सहकारी संस्था या सहकारी बैंक भोगी अधिकारी या कर्मचारी हो अथवा ऐसा कोटवार हो जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य हो अथवा। ऊपर कंडिका (2) में वर्णित ऐसा कोई अधिकारी/ कर्मचारी जो सेवानिवृत्ति हो चुका हो, या निलंबन अधीन हो या अनियमित तरीके से सेवा पृथक कर दिया गया हो। 9. सदस्यता की समाप्तिः संस्था की सदस्यता निम्नलिखित स्थिति में समाप्त हो जाएगी:- - मुत्यु हो जाने पर - पागल हो जाने पर – संस्था को देय चंदे की रकम-6 में बताये अनुसार जमा न करने पर - त्याग पत्र देने एवं उसके स्वीकार हो जाने पर - चारित्रिक दोष होने पर और, कार्यकारिणी समिति के निर्णय अनुसार संस्था से निकाल दिये जाने पर - जिसके निर्णय पारित होने की सूचना सदस्य को लिखित में देना होगी. 10. सदस्यता शुल्क का वितरण:- विकास खण्ड तहसील एवं जिला स्तर की शाखाओं द्वारा सदस्यता शुल्क का वितरण निम्नानुसार किया जाएगा. कुल प्राप्त सदस्यता शुल्क की धनराशि का 40 प्रतिशत भाग जिला शाखा के पास रहेगा जिसमें से 10-10 प्रतिशत भाग तहसील एवं विकास खंड स्तरीय शाखाओं का व्यय हेतु जिला शाखा द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी एवं 10 प्रतिशत भाग संभाग के पास रहेगा, कुल प्राप्त सदस्यता शुल्क की धनराशि का 50 प्रतिशत भाग प्रादेशिक समिति को भेजा जाएगा. 11. संस्था कार्यालय में सदस्य पंजी रखी जायेगी तथा उसमें निम्न ब्यौरे दर्ज किये जायेगें: - प्रत्येक सदस्य का नाम, पता तथा विभाग का नाम. - वह तारीख जिसको सदस्यों को प्रवेश दिया गया तथा रसीद नंबर. - वह तारीख जिससे सदस्यता समाप्त हुई हो. 12. (अ) साधारण सभाः- साधारण सभा में नियम 6 में दर्शाए श्रेणी के सदस्य समावेशित होंगे। साधारण सभा की बैठक आवश्यकतानुार होगी, पंरतु वर्ष में बैठक एक बार अनिर्वाय होगी। बैठक की माह, तारीख तथा बैठक का स्थान व समय कार्यकारिणी समिति निश्चित करेगी, जिसकी सूचना 15 दिवस पूर्व प्रत्येक सदस्य को दी जावेगी। बैठक का कोरम 3/5 सदस्यों का होगा। संस्था को प्रथम आम सभा पंजीयन दिनांक से तीन माह के भीतर बुलाई जाएगी। उसमें संस्थाओं के पदाधिकारियों का विधिवत निर्वाचन किया जावेगा। यदि संबंधित आम सभा का आयोजन किसी समय नहीं किया जाता तो पंजीयक को अधिकार होगा कि वह संस्था की आमसभा का आयोजन किसी जिम्मेदार कर्मचारी के मार्गदर्शन में करा लें जिसमें पदाधिकारियों का विधिवत चुनाव कराया जावेगा। यदि सभा का कोरम पूर्ण नहीं होता तो सभा स्थगित कर इसी स्थान पर पुन: की जावेगी, जिसके लिए कोरम की आवश्यकता नहीं होगी. (ब) प्रबंधकारिणी सभा:- प्रबंधकारिणी सभा की बैठक प्रत्येक 3 माह में होगी तथा बैठक का एजेण्डा तथा सूचना बैठक दिनांक से सात दिन पूर्व कार्यकारिणी के प्रत्येक सदस्य को भेजी जानी आवश्यक होगी। बैठक का कोरम 1/2 सदस्यों का होगा। यदि बैठक का कोरम पूर्ण नहीं होता है, तो बैठक एक घण्टे के लिए स्थागित कर उसी स्थान पर पुनः की जावेगी,जिसके लिए कोरम की कोई शर्त नही होगी। (स) विशेषः- यदि कम से कम कुल संख्या (कुल सदस्यों की संख्या) के 2/3 सदस्यों द्वारा लिखित रूप से बैठक बुलाने हेतु आवेदन करे, तो उनके दर्शाये विषय पर विचार करने के लिए साधारण सभा की बैठक बुलाई जावेगी। विशेष संकल्प पारित होने पर संकल्प की प्रति, पंजीयक को संकल्प पारित हो जाने के दिनांक से 14 दिन के भीतर भेजी जावेगी। पंजीयक को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने तथा समिति को परामर्श देने का अधिकार होगा। 13. साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य :- (क) संस्था के पिछले वर्ष का वार्षिक विवरण, प्रगति प्रतिवेदन स्वीकृत करना। (ख) समाज की सामाजिक, शेक्षणिक आर्थिक, राजनेतिक स्थिति पर विचार करना. (ग) समाज के विकास हेतु कार्यक्रम प्रस्तुत करना. (घ) संस्था की स्थाई निधि व संपत्ति की ठीक व्यवस्था करना। (ड) आगामी वर्ष के लिए लेखा परीक्षकों की नियुक्ति करना। (छ) अन्य ऐसे विषयों पर विचार करना जो प्रबंधकारिणी द्वारा प्रस्तुत हों। (ज) संस्था द्वारा संचालित संस्थाओं के आय व्यय पत्रकों को स्वीकृत करना। 14. प्रबंधकारिणी का गठनः-प्रदेश समस्त स्तरों पर ट्रस्टीज यदि कोई हो, समिति के पदेन सदस्य रहेंगें। नियम 6 अ, ब, स, से दर्शाए गए सदस्यों, जिनके नाम, पंजी रजिस्टर में दर्ज हो की बैठक में बहुमत के आधार पर निम्नांकित पदाधिकारियों तथा प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों का निर्वाचन होगा। 1. अध्यक्ष-एक 2. उपाध्यक्ष-दो 3. महासचिव-सात(अधिकतम आठ) 4. सचिव-सात (अधिकतम आठ) 5. संयुक्त सचिव-सात (अधिकतम आठ) 6. कोषाध्यक्ष-एक 7. आडिटर-एक 8. सदस्य-52 (प्रत्येक जिले में एक) 9. संभागीय अध्यक्ष–10 दस (प्रत्येक संभाग में एक) 15. प्रबंध समिति का कार्यकाल:- समस्त स्तरीय प्रबंध समिति का कार्यकाल 3 वर्ष होगा। यथेष्ट कारण होने पर उस समय तक, जब तक की नई प्रबंधकारिणी का निर्माण नियमानुसार या अन्य कारणों से नहीं हो जाता, कार्य करती रहेगी, किंतु उक्त अवधि 6 माह से अधिक नहीं होगी, जिसका अनुमोदन साधारण सभा से कराना अनिवार्य होगा। 16. प्रबंधकारिणी समिति अधिकार एवं कर्तव्य:- जिन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु संस्था का गठन हुआ है, उनकी पूर्ति करना और इस आश्य की पूर्ति हेतु व्यवस्था करना और इस आशय की पूर्ति हेतु व्यवस्था करना. पिछले वर्ष का आय- व्यय का लेखा, पूर्णतः परीक्षित किया हुआ, प्रगति प्रतिवेदन के साथ, प्रतिवर्ष साधारण सभा की बैठक में प्रस्तुत करना। समिति एंव एसके अधीन संचालित संस्थाओं के कर्मचारियों के वेतन तथा भत्ते आदि का भुगतान करना। संस्था की चल-अचल सम्पत्ति के ऊपर लगने वाले कर आदि का भुगतान करना। कर्मचारियों आदि की नियुक्ति करना। अन्य आवश्यक कार्य करना जो समय -समय पर साधारण सभा द्वारा सौपें जावें। संस्था की चल-अचल सम्पत्ति सुरक्षा, रखरखाव, कार्यकारिणी समिति के नाम से रहेगी। संस्था द्वारा कोई भी स्थावर, सम्पत्ति पंजीयन विक्रय, अर्गत, की लिखित अनुज्ञा के बिना विक्रय द्वारा या अन्यथा अर्जित या अंतरित नही की जावेगी। विशेष बैठक आमंत्रित कर संस्था के विधान में संशोधन किए जाने के प्रस्ताव पर विचार विमर्श कर साधारण सभा की विशेष बैठक में उसकी स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करेगी। साधारण सभा में कुल सदस्यों के 2/3 मत से संशोधन पारित होने पर उक्त प्रस्ताव पारित कर पंजीयक को अनुमोदन हेतु भेजा जावेगा। 17. अध्यक्ष के अधिकारः- अध्यक्ष साधारण सभा तथा प्रबंधकारिणी की समस्त बैठकों की अध्यक्षता करेगा, तथा महासचिव द्वारा साधारण सभा तथा प्रबंधकारिणी की बैठकों का आयोजन किया जायेगा। अध्यक्ष का मत, विचारार्थ विषयों में निर्णायक होगा। अध्यक्ष संस्था के उपाध्यक्षों, महासचिवों, सचिवों एवं संयुक्त सचिवों के बीच कार्य एवं क्षेत्र का विभाजन कर सकेगा। 18. उपाध्यक्ष के अधिकारः- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष द्वारा साधारण सभा एवं प्रबंधकारिणी की समस्त बैठकों की अध्यक्षता की जाएगी। उपाध्यक्ष द्वारा, अध्यक्ष द्वारा अधिकृत किये गये मामलों में, अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का उपयोग किया जा सकेगा। 19. महासचिव के अधिकारः- प्रांतीय अध्यक्ष के निर्देश अनुसार साधारण सभा एवं प्रबंधकारिणी की बैठक समय-समय पर बुलाना और समस्त आवेदन पत्र तथा सुझाव जो प्राप्त हों प्रस्तुत करना। समिति का आय व्यय का लेखा- जोखा परीक्षण करना, उससे प्रतिवेदन तैयार करके साधारण सभा के समक्ष प्रस्तुत करना। महासचिव के सारे कागजातों को तैयार करना तथा करवाना। उनका निरीक्षण करना व अनियमितता पाए जाने पर उसकी सूचना प्रबंधकारिणी को देना। महासचिव को किसी कार्य के लिए एक समय में 20,000/- बीस हजार रूपये तक व्यय करने का अधिकार होगा। अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर सौंपे गए कार्य निष्पादित करना। 20. सचिव के अधिकारः- अध्यक्ष द्वारा सोंपे गए महासचिव के कर्तव्यों का निर्वाह करना। 21. संयुक्त सचिव के कर्तव्य:- अध्यक्ष द्वारा सोंपे गए कर्तव्यों का निर्वाह करना। 22. कोषाध्यक्ष का अधिकारः- (क) संस्था की धनराशि का पूर्ण हिसाब रखना तथा अध्यक्ष, महासचिव या कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत व्यय करना। (ख) आडिटर का कर्तव्य - संस्था के आय व्यय का आडिट करना। 23. अन्य संस्थाओं से संबद्धताः- आरक्षित वर्गो के नोकरी पेशा लोगों के हितार्थ कार्य करने वाली किसी भी संस्था द्वारा आवेदन करने पर उसे प्रबंधकारिणी समिति के अनुमोदन द्वारा संस्था से संबंद्ध किया जा सकेगा। ऐसी संस्था से रू.10,000/- दस हजार रूपये का संबद्धता शुल्क वसूल किया जाएगा। संबद्धता प्राप्त करने वाली संस्था को इस संस्था के उद्देश्यों को स्वीकार करना होगा। (संबद्धता प्रदान करने वाली) संस्था की प्रबंधकारिणी समिति द्वारा किसी भी संस्था की सम्बद्धता को, बिना कोई कारण बताए, निरस्त किया जा सकेगा। 24. बैक खाताः- संस्था की समस्त निधि किसी राष्ट्रीयकृत बैक, सहकारी बैंक या पोस्ट आफिस में रहेगी। धन का आहरण अध्यक्ष या मंत्री तथा कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से होगा। दैनिक व्यय हेतु कोषाध्यक्ष के पास अधिकतम 5000/- पांच हजार रूपए रहेंगे। 25. पंजीयक को भेजी जाने वाली जानकारीः- अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत संस्था की वार्षिक सभा होने के दिनांक से 14 दिन के भीतर निर्धारित प्रारूप पर कार्यकारिणी समिति को सूची फाइल की जाएगी, तथा धारा 28 के अंतर्गत संस्था की परीक्षित लेखा, भेजी जाएगी। 26. संशोधनः- संस्था के विधान में संशोधन साधारण सभा की बैठक में उपस्थित सदस्यों के 2-3 मतों से पारित होगा। यदि आवश्यक हुआ तो संस्था के हित में उसके पंजीकृत विधान में संशोधन करने का अधिकार पंजीयक फर्मस् एवं संस्थाएं को होगा, जो प्रत्येक सदस्य को मान्य होगा। 27. विघटनः- संस्था का विघटन साधारण सभा के कुल सदस्यों के 3-5 मत से. 28. सम्पत्ति:- संस्था की चल अथवा अचल सम्पत्ति संस्था के नाम से रहेगी। संस्था की अचल सम्पत्ति स्थावर रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटीज की लिखित अनुज्ञा के बिना दान द्वारा विक्रय द्वारा या अन्यक्षा प्रकार से अर्जित या अन्तरित नही की जा सकेगी। 29. पंजीयक द्वारा बैठक बुलानाः- संस्था की पंजीयक नियमावली के अनुसार पदाधिकारियों द्वारा वार्षिक बैठक न बुलाये जाने पर या अन्य प्रकार से आवश्यक होने पर पंजीयक फर्मस् एवं संस्थाओं की बैठक बुलाने का अधिकार होगा। साथ ही वह बैठक में विचारार्थ विषय निश्चय कर सकेगा। 30. विवादः- संस्था में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर अध्यक्ष को साधारण सभा की अनुमति से उसे सुलझाने का अधिकार होगा। यदि इस निश्चय या निर्णय से दोनों पक्षों को संतोष न हो तो वह रजिस्ट्रार की ओर विवाद को निर्णय के लिए भेज सकेंगे। रजिस्ट्रार का निर्णय अंतिम एव सर्वमान्य होगा। संचालित सभाओं के विवाद अथवा प्रबंध समिति के विवाद उत्पन्न होने पर अंतिम निर्णय देने का अधिकार रजिस्ट्रार की होगा। मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति एवं कर्मचारी संघ(अजाक्स) के संविधान, पंजीयन क्रमांक : 25828 की प्रांतीय कार्यकारिणी संस्था के संविधान में संस्था के संविधान की धारा(6) की उपधारा(स) के बाद निम्नानुसार संशोधन करती हैः- (स) प्रत्येक जिले के कम से कम उतने सदस्य बनाना आवश्यक होगा, जो संख्या उनके जिले के लिए निर्धारित की गई है।उपरोक्त सदस्य संख्या राजधानी अर्थात भोपाल जिले के लिए न्यूनतम 3000, संभाग स्तर के जिले अर्थात इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, सागर, ग्वालियर, रीवा, शहडोल, होशंगाबाद एवं मुरैना के लिए 3000 एवं शेष जिलों के लिए 1200 होगी। केन्द्र सरकार के कर्मचारी संघ में सदस्यता ग्रहण कर सकते है, लेकिन पदाधिकारी नहीं बन सकते है। संस्था के संविधान की धारा (9) के बिन्दु क्रमांक 06 के बाद बिन्दु क्रमांक 07 प्रतिपादित की जाती है। बिन्दु क्रमांक 07 अजाक्स आचरण संहिताः- प्रत्येक सदस्य को अनुशासित रहते हुए संघ का कार्य करना है जिससे बाहरी वातावरण में संगठन की छवि धूमिल न हो बल्कि अपनी समस्याओं को शांति व भाईचारा में रहकर अनुशासित ढ़ंग से प्रस्तुत करनी है। संघ के विरूद्ध सदस्यों द्वारा अनुशासनात्मक तरीके से पेश न आने पर प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित करने का अधिकार प्रांताध्यक्ष को होगा। सदस्यता शुल्क का वितरणः- बिंदु क्रमांक 10 के स्थान पर निम्नानुसार संशोधन प्रतिस्थापित किया जाता हैः- जिला शाखा से प्राप्त सदस्यता शुल्क की पूर्ण राशि 100 प्रतिशत प्रांतीय कार्यालय में जमा रहेगी। प्रांतीय कार्यालय द्वारा उपर्युक्त राशि में से यथासंभव आवश्यकतानुसार राशि जिला निर्वाचन अधिकारी (अजाक्स) को निर्वाचन एवं उससे जुड़े अन्य खर्चो की पूर्ति हेतु प्रदाय की जाएगी। प्रांतीय कार्यालय के द्वारा उपर्युक्तनुसार शेष बची राशि का 40 प्रतिशत जिला शाखा के कार्यालयों की पूर्ति हेतु उनके बैंक खाते में निर्वाचन/ मनोनीत जिलाध्यक्ष को प्रदाय की जाएगी, जिसमें से 10 प्रतिशत तहसील एवं ब्लाक को उपलब्ध कराई जाएगी. 10 प्रतिशत संभाग को दी जावेगी एवं शेष 50 प्रतिशत प्रदेश में जमा रहेगी. जिला शाखा उपरोक्तनुसार प्रादेशिक कार्यालय से प्राप्त राशि में से आवश्यकतानुसार राशि तहसील स्तरीय शाखाओं को संचालन व उनके कार्यकलाप हेतु प्रदान करेगी। संस्था के संविधान की धारा 14 के बाद (क), (ख) एवं (ग) निम्नानुसार प्रतिस्थापित की जाती हैः- (क) राज्य की प्रबंधकारिणी का गठनः- ट्रस्टीज यदि कोई हो तो समिति के पदेन सदस्य रहेगें। नियम-6 में दर्शाये गये सदस्यों, जिनके नाम पंजी रजिस्टर में दर्ज हो, की बैठक में बहुमत के आधार पर निम्नांकित पदाधिकारियों तथा प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों का निर्वाचन/ मनोनयन होगाः- 1. अध्यक्ष-01 2. उपाध्यक्ष-02 3. महासचिव-08(अधिकतम) 4. सचिव- 08(अधिकतम) 5. संयुक्त सचिव-08(अधिकतम) 6. कोषाध्यक्ष-01 7. आडिटर-01 8. प्रवक्ता-01 9. सदस्य-52 (प्रत्येक जिले से एक) (ख) संभागीय कार्यकारिणीः- संभागीय स्तर पर पृथक कार्यकारिणी होगी, जिनकी नियुक्तियां प्रांताध्यक्ष/प्रांतीय प्रबंध कार्यकारिणी द्वारा की जावेगी या निर्वाचन से प्रांतीय प्रबंध कार्यकारिणी तय करेगी. प्रांतीय अध्यक्ष की अनुमति से महासचिव को संभाग/क्षेत्र आवंटित कर प्रभारी बना सकेंगे. संभाग स्तर की संख्या जिला स्तरीय कार्यकारिणी संख्या के बराबर होगी. (ग) जिला स्तरीय कार्यकारिणीः- संबंधित जिले के सदस्य जिनके नाम उस जिले की पंजी रजिस्टर में दर्ज हो द्वारा मतदान के आधार पर निम्नांकित पदाधिकारियों का निर्वाचन किया जाएगाः- 1. अध्यक्ष-01 2. उपाध्यक्ष-2 3. महासचिव-08(अधिकतम) 4. सचिव-08(अधिकतम) 5. संयुक्त सचिव- 08(अधिकतम) 6. कोषाध्यक्ष-01 7. आडिटर-01 8. प्रवक्ता- 01 9. सदस्य-48 (घ) तहसील /विकासखण्ड स्तरीय कार्यकारिणीः- 1. अध्यक्ष-01 2. उपाध्यक्ष-2 3. महासचिव-08(अधिकतम) 4. सचिव-08(अधिकतम) 5. संयुक्त सचिव- 08(अधिकतम) 6. कोषाध्यक्ष-01 7. आडिटर-01 8. प्रवक्ता- 01 9. सदस्य-48 (3) विभागीय समितियों की कार्यकारिणी :- 1. प्रांतीय स्तरीय विभागीय समितियों का गठन :- प्रांतीय स्तर पर एवं विभागाध्यक्ष कार्यालयों में विभागीय समितियों का गठन प्रांतीय अध्यक्ष की अनुमति से मनोनयन किया जा सकेगा। परंतु किसी विभाग की विभागीय समिति के लिए निर्वाचन कराना आवश्यक हो तो इस आशय का आवेदन प्रांतीय कार्यालय को प्रस्तुत कर सकेंगे, जिस पर विचारोपरांत प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया हेतु पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकेंगे। 2. संभाग / जिला स्तरीय विभागीय समितियों का गठन:- संभाग स्तर पर विभागीय समितियां संभागीय कार्यकारिणी एवं जिला स्तरीय विभागीय समितियों में जिला कार्यकारिणी द्वारा पदाधिकारियों का मनोनयन किया जाएगा जिसका अनुमोदन प्रान्त से कराया जाना आवश्यक होगा. 3. प्रकोष्ठों के संबंध में:- प्रांतीय स्तर पर विभिन्न प्रकोष्ठों का गठन किया गया है जिसमें मुख्यतः सफाई नगरीय कर्मचारी प्रकोष्ठ, चिकित्सा प्रकोष्ठ, अभियंता प्रकोष्ठ, राजस्व प्रकोष्ठ, महिला प्रकोष्ठ, वाणिज्यिक कर प्रकोष्ठ इत्यादि। उक्त प्रकोष्ठों का गठन/मनोनयन प्रांताध्यक्ष की अनुमति से किया जा सकेगा, परंतु किसी प्रकोष्ठ के द्वारा प्रकोष्ठ की शाखाओं के निर्वाचन करना आवश्यक हो तो इस आशय का आवेदन प्रांतीय कार्यालय को प्रस्तुत कर सकेंगें जिस पर विचारोपरांत प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया हेतु पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर सकेगें। संस्था के संविधान की धारा-31 के बाद धारा-32 निम्नानुसार जोडी़ जाती हैः-